कंचे के गोली खेल का इतिहास, नियम संक्षिप्त परिचय , टीम, खिलाड़ी, ताजा खबर, लक्ष्य, नियम, मैदान, ग्राउंड,गोली, फाउल, सर्विस, प्वाइंट, खिलाड़ी गिनती, रणनीति, स्कोरिंग, बच्चों का खेल, कंचे का खेल, अंक, आय का स्रोत (Kanche Goli Khel Rules, History in Hindi and brief Information in Hindi, latest news, history, rules, Kanche Goli , ground, racket, players hide, table Counting, table, strategy, scoring, child’s play, referee, Kanche Game, Referees, Source of Income)
यह तो सच है कि वक्त के साथ दुनिया बदलती है और इसके साथ-साथ आदत भी बदलती है बदलाव की दौड़ में कई ऐसी चीजें पीछे छूट जाती है जो काफी हमारे जो कभी हमारी जिंदगी का महत्व ऐसा हुआ करते थे जैसे वह खेल जिनके साथ हम बड़े हुए हैं पुराने समय में खेले जाने वाले खेल और धीरे-धीरे लूप हो रहा है ऐसे ही आज एक ऐसे खेल के बारे में बात करने जा रहे हैं जो हम लोग बचपन में इसके साथ काफी समय लगाकर खेलते थे और आज भी गांव में या गेम लोग खेलना पसंद करते हैं खासकर खासकर बच्चे इस खेल को काफी दिलचस्प दिखाकर खेलते हैं इस खेल का नाम है कांच की गोली जिसमें कई रंग बिरंग गोलियां होती थी और इसमें एक साथ कई बच्चे मिलकर इस खेल को खेलते थे और एक गोला बनाकर इसमें गोली रख कर बाहर से उंगली के द्वारा दूसरे गोली से मार कर उसको बाहर किया जाता था आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम कंचे गोली खेल के बारे में इसके इतिहास तथा नियम तथा संक्षिप्त परिचय के बारे में बात करेंग।
कंचे के गोली खेल के बारे में संक्षिप्त जानकारी (Kanche Goli Khel Overview)
खेल का नाम | कंचे का खेल |
खेल के अन्य नाम | इस खेल को उत्तर में कांचे और दक्षिण में गोली गुंडू के नाम से जाना जाता है। |
टीम | 2 टीम |
खिलाड़ी | प्रत्येक टीम में 6 खिलाड़ी होते हैं। |
मुख्य उद्देश्य | इस खेल में टीम का मुख्य उद्देश्य विरोधी टीम की तुलना में अधिक कंचों को नॉक आउट करना होता है। |
कंचे गोली खेल क्या है (Kanche ke Goli khel kya hai)
कांच की गोली खेलने के लिए आपको कोई ज्यादा सामग्री की जरूरत नहीं होती है इसके लिए कांच की गोली जो रंग बिरंग होती है और इसको खेलने के लिए दो या दो से अधिक लोगों की जरूरत होती है जिसमें 2 टीम होती है और इस गोले के अंदर बहुत सारे गोयल रखी जाती है उसके बाद खिलाड़ी अपनी उंगली को अपने बाएं हाथ की तर्जनी में मजबूती से रखता है फिर वह अपने दाहिने हाथ की तर्जनी के दबाव दबाव से उंगली को धनुष केतार की तरफ पीछे खींचता है जिसके बाद वह गोली तेजी से जाती है और गोले के अंदर गोली को मारकर उस गोले में बाहर उस गोली से बाहर करती है इस तरह से जिस टीम के पास ज्यादा गोली होती है वह विजय घोषित होता है यह खेल अधिकतर गांव में खेला जाता है और छोटे बच्चे हैं खेलते हैं या खेल धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहा है।
कंचे के गोली कैसे खेला जाता है (Kanche ke Goli khel kaise khele)
कांच के गोली का उपयोग करके कई अलग-अलग प्रकार के खेल खेला जाता जाता है लेकिन कांच की गोली का उपयोग करके सबसे अधिक लोकप्रिय खेले जाने वाले खेल है जमीन पर लगभग 2 से 3 फीट का व्यास का एक गोला बनाया बनाया जाता है और उसके अंदर बहुत सब गोलियां रखा जाते हैं जिसमें 2 टीम को समान मौका दिया जाता है और दोनों टीम उस गोले से जो ज्यादा गोली निकालती है वह विजय घोषित होती है इस गोले में सभी रखी हुई गोलियों को आप अपने उंगली के द्वारा गोली को मार कर इसे बाहर किया जाता है और इस दौरान बाहर होते इस दौरान किसी अन्य गोली में अगर टच करती है उसके उपरांत आपको पेनल्टी फिश के तौर पर एक गोली और आपकी टीम के तरफ से रखा जाता है।
कंचे के गोली खेल का इतिहास (Kanche Goli Khe History)
कंचे के गोली खेल के इतिहास के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन जहां तक पता है कि या पुराने समय से ही खेला जाने वाला खेल है अभिया कांच की गोली बनता था लेकिन पुराने समय में पत्थर और मिट्टी का गोली बनाकर लोग खेला करते थे जिससे यह प्रस्तुत होता है कि यह प्राचीन समय से खेले जाने वाले खेलों में से एक है।
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कंचे के गोली पर मेरे विचार (Kanche ke Goli my thoughts)
बचपन में कांच की गोली खेलना काफी पसंद किया करते थे आज के जमाने में बच्चे इस खेल को खेलना ज्यादा पसंद नहीं करते थे लेकिन पुराने समय में यह कांच की गोली खेलना काफी प्रचलित था और खासकर यह गांव के इलाके में ज्यादा बच्चे खेलते थे और इनडोर और आउटडोर खेले जाने वाले गेम था इसमें आप अपने घर के अंदर भी खेल सकते थे या घर के बाहर इसे खेलने के लिए कोई बहुत बड़ी जगह थी जरूरत नहीं थी इस खेल को खेलने से काफी आनंद मिलता था अंत में वक्त बस यही कहूंगा कि यह मेरे सबसे पुराने और पसंद है खेलों में से एक हैं।
Man is said to seek happiness above all else, but what if true happiness comes only when we stop searching for it? It is like trying to catch the wind with our hands—the harder we try, the more it slips through our fingers. Perhaps happiness is not a destination but a state of allowing, of surrendering to the present and realizing that we already have everything we need.